आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने शुक्रवार को पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर विवादित बयान दिया। संजय ने कहा कि, गोगोई न्यायपालिका पर धब्बा हैं। राफेल सौदे में पूर्व सीजेई रंजन गोगोई की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए और जांच की मांग की। संजय ने कहा कि, '' मुझे लगता है कि इतना अपमान किसी भी देश के मुख्य न्यायाधीश का नहीं हुआ होगा। रंजन गोगोई न्यायपालिका पर काला धब्बा बन चुके हैं। जिन्हें इतिहास कभी माफ नहीं करेगा। ये वही व्यक्ति है जिसने राफेल मामले में मेरी याचिका सुनने से मना कर दिया था। इस व्यक्ति ने राफेल डील में खुलेआम भाजपा के समर्थन में फैसला दिया। सरकार को बचाने का काम किया और आज उनकी कठपुतली बनकर नाचने के लिए राज्यसभा पहुंच गया है। ''
अब समझ में आया राफेज में क्या डील हुई
संजय सिंह ने कहा- '' आपने कभी हिंदुस्तान के इतिहास में सुना है कि एक मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट में बैठा व्यक्ति कहे कि वो याचिका नहीं सुनेगा। आप (गोगोई) एक बार याचिका सुन तो लेते। भले ही उसे खारिज कर देते। आज आप भाजपा के सहारे राज्यसभा में बैठ गए। अब समझ में आ रहा है राफेल में क्या डील हुई थी जज साहब। ये तो बिल्कुल समझ में आ रहा है। राफेल का फैसला न्यायपालिका पर बड़ा चिन्ह है। इसलिए अगर रंजन गोगोई के दाग को मिटाना है। इनके डील को उजागर करना है, तो राफेल मामले की सुनवाई फिर से होनी चाहिए। मेरी जो याचिका नहीं सुनी गई उसे फिर से सुनी जानी चाहिए।''
अब तो हर जज के फैसले पर सवाल उठेंगे
संजय सिंह ने कहा कि '' तीन गुना दाम में एक जहाज ली गई और आज तक उसको लेकर कोई आदेश नहीं आया। सिर्फ इसलिए क्योंकि रंजन गोगोई को राज्यसभा जाना था। मैं समझता हूं कि सिर्फ रंजन गोगोई ही नहीं बल्कि अब बाकी जजेज भी जो फैसले देंगे उस पर एक सवालिया निशान लगेगा। उसे दूसरे चश्मे से देखा जाएगा।
रिटायरमेंट के बाद लाभ का पद न मिले
संजय सिंह ने जजेज और मुख्य चुनाव आयुक्त के पदों पर बैठने वालों के लिए नया नियम बनाने को कहा। बोले, मैं कहता हूं कि जज और मुख्य चुनाव आयुक्त के रिटायरमेंट की उम्र 70 साल कर देनी चाहिए। लेकिन रिटायरमेंट के बाद इन्हें कोई सरकारी लाभ का पद या राजनीतिक पद नहीं मिलना चाहिए।
गुरुवार को ही राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण की
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा सदस्य के लिए नामित किया था। गुरुवार को ही गोगोई ने राज्यसभा में सदस्यता ग्रहण की थी। नामित होने के बाद से उनपर विपक्ष के नेता हमलावर हो रहे हैं।